Tuesday, November 16, 2010

गौतम बुद्ध की धरती बिहार में किसान स्वराज यात्रा

जल, जंगल, जमीन और बीज की रक्षा के लिए किसान स्वराज यात्रा १२ राज्य का भ्रमण करते हुए बिहार का गोरव पटना में २२ नवम्वर को श्री कृष्ण बिज्ञान केंद्र के सभागार गाँधी मैदान में १०.३० प्रातः में शहर वासियों के साथ वैठक आहूत की गयी है आप सभी पटना वासियों से निबेदन है ज्यादा से ज्यादा संख्या में आकर किसान स्वराज यात्रियों का मनोबल और उत्साह बढ़ाये, किसान स्वराज यात्रा पटना से होते हुए मुजफ्फरपुर, पूसा विश्वविद्यालय समस्तीपुर, बेतिया मोतिहारी होते हुए गोरखपुर की और निकल जाएगी.
किसान स्वराज यात्रा क्या है जाने

संपूर्ण भारत वर्ष में एक चेतना यात्रा का आयोजन ‘स्वराज यात्रा’ के नाम से किया जा रहा है. यात्रा देश के उन्नीस राज्यों में होगी। स्वराज यात्रा सतत एवं समग्र कृषि गठबंधन द्वारा आयोजित किया जा रहा है (“ASHA” Alliance for Sustainable & Holistic Agriculture) इस स्वराज यात्रा द्वारा सभी भारतीयों को याद दिलाने का प्रयास किया जा रह है कि हमने कैसे गुलामी कि जंजीर को तोड़कर आजादी ली थी और बड़ी कृषि व्यावसायिक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, जिनके पीछे कई भारतीय अवतार छुपे बैठे हैं, पुनः देश की आज़ादी के ऊपर खतरे कि तरह मंडरा रहीं है एवं हमारे देश कि आज़ादी एवं हमारी किसानी छिनने का प्रयास कर रही है।

हिंद स्वराज के सौ साल बाद, जहाँ हमने स्वतंत्र भारत के अच्छे विकास का सपना सजोया था, जो हमारी सम्पदा एवं सभ्यता से आधारित था तथा इसके लिए कितने स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए, पुनः उपनिवेशण के रास्ते पर हैं और बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ पुनः देश भर में पांव फ़ैलाने पर आमदा है और इसके विरोध में हम सबों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।

यह व्यापक रूप से देखा जा सकता है कि हमारे खाद्यानों एवं कृषि व्यवस्था पर अब बीज एवं अन्य कृषि से जुड़े तकनीक के माध्यम से नियंत्रण करते हुए मुनाफाखोरों के लिए विशाल बाजार का विस्तार किया जा रहा है। इस लालची मुनाफाखोरी में हालाँकि किसान एक बहाने के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है, और यह भी स्पष्ट है कि किसानों एवं खेतों कि बर्बादी के बारे में हमेशा भारत में जाना जाता है।

इस यात्रा द्वारा जी एम् बीजों के पुरजोर विरोध कि जरूरत है क्योंकि इन जी एम् बीजों के कई प्रतिकूल प्रभाव किसानों, उपभोक्ताओं एवं पर्यावरण पर पड़ते हैं यह हमारी स्वतंत्रता के नये युद्ध का नमक है जो समुदायों को पुनः अपने संसाधनों, ज्ञान, आजीविका, जीवन एवं स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने में सहायक सिध्द होगा

स्वराज यात्रा द्वारा सत्यमेव जयते के दर्शन के आधार पर सच्चाई बताई जायेगी। यह सच्चाई कृषि नीतियों, जी एम् बीज जैसे तकनीक और उनकी भारत में वर्तमान स्थिति, मोंसैंटो जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्रों कि संस्थाएं जिन्हें हम कर भुकतान कर समर्थन करते हैं, सिंथेटिक कीटनाशकों, कारपोरेट, अनुबंध खेती तथा सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक खेती के बारे में होगी।

यह यात्रा उन तथ्यों को भी उजागर करेगी जो कॉरपोरेटों के लालचीपन के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधनों के लिए खतरा बन गए हैं।

इस यात्रा में सफल एवं अनुभवी किसान होंगे जो अपने अनुभवों को देश भर के किसानों में बाटेंगे, खाशकर उन किसानों में भी जिन्होंने जी एम् बीजों के दंश को झेला है तथा किसानों को अपने खाद्यानों एवं खेती में स्वराज लाने का सन्देश जायेगा। इस यात्रा में चल रहे नागरिकों द्वारा अपने मौलिक अधिकारों, भोजन के विकल्पों को चुनने कि जानकारी दी जायेगी। साथ ही साथ कृषि विशेषज्ञ, बायोटेक विशेषज्ञ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी यात्रा में शामिल रहेंगे।

यह एक ऐसा मंच होगा जिसमे सभी नागरिकों को जानने एवं शामिल होने का अधिकार होगा साथ हीं वे जान सकेंगे कि उनके खाद्यानों एवं खेती में क्या-क्या परिवर्तन करने कि कोशिश केंद्र सरकार एवं वहुराष्ट्रीय कंपनियां कर रहीं हैं।

यह राज्य सरकारों के लिए भी मंच होगा जो अपने राज्य के कृषि एवं स्वास्थ्य के विषय पर प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों को मजबूत करना चाहते है। यहाँ कहने में यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बी आर ए बिल एवं सीड बिल जैसे प्रस्ताव सरकार वहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाब में आकार लाना चाहती है, जिसमे राज्यों के अधिकारों के हनन करने का प्रयास किया गया है। साथ ही उन बिलों में कई संशोधन कि भी आवश्यकता है। यह यात्रा उन राज्य सरकारों के पास भी जायेगी जो अलग बैठ तमाशबीन बने हुये हैं।

स्वराज यात्रा दिनांक ०२ अक्टूबर २०१० को गाँधी जयंती के अवसर पर गुजरात के साबरमती आश्रम से शुरू होगी और देश भर के १९ राज्यों, यथा गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आँध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, राजस्थान, एवं हरियाणा, की यात्रा के उपरांत राजघाट दिल्ली में दिनांक १० दिसंबर२०१० को देश की जनता के सामने समाप्त होगी।

सम्पूर्ण भारत में चेतना यात्रा


सत्यमेव जयते

किसान स्वराज यात्रा

सम्पूर्ण भारत में चेतना यात्रा

सुरक्षित आहार हमारा अधिकार

जी एम् खाद्यानों को नकारें, प्राकृतिक खेती लायें

प्रकृति बचायें किसान बचायें

स्वराज का शाब्दिक अर्थ है -"अपना राज्य" ( "self-governance" or "home-rule") । यह शब्द महात्मा गाँधी द्वारा विदेशी आधिपत्य से मुक्ति के लिये चलाये गये स्वतन्त्रता आन्दोलन को इंगित करता है।

जल, जंगल, जमीन और बीज - आम बुनियादी संसाधन है - आज महान खतरे में हैं इन बुनियादी संसाधनों, जिनसे हम भारतीयों की स्थायी आजीविका के लिए अपेक्षाएं हैं, के साथ लाखों लोगों के जीवन पर अनिश्चितता के बादल बैठे हैं। साथ हीं एक गंभीर सवाल भारत के सभी नागरिकों के लिए मौलिक अधिकारों और सतत विकास का है

यह शर्म की बात है कि यह एक ऐसा देश है जहाँ की आबादी का लगभग 70% अभी भी कृषि और खाद्य उत्पादन, ग्रामीण भूख और भुखमरी के साथ जुड़ा हुआ है इससे भी बदतर, लोग हैं, जो पूरे राष्ट्र का खाद्य उत्पादन कर रहे हैं, लाखों में आत्महत्या कर रहे हैं और उन्हें उनके आत्म सम्मान के साथ लगातार हतोत्साहित किया जा रहा है

आज की परिस्थिति में बी टी बैंगन को हमारी प्लेटों में पड़ोसे जाने से रोक दिया गया है। हालाँकि प्रारंभिक रेगुलारिटी अनुमोदन एवं दिनांक ९ फरवरी २०१० को बी टी बैंगन पर तत्काल रोक लगने के बाद जी एम् समर्थकों द्वारा विरोध प्रकट किया जाना पूरे राष्ट्र एवं विश्व को दिखाया है की जी एम् समर्थक लॉबी राष्ट्र की लोकत्रांतिक आवाजों को अनदेखा करते हुए इस अप्राकृतिक तकनीक को हमारे गले के नीचे उतरने पर लगे हैं। साथ हीं जन सुनवाई के दौरान जिन्होंने बी टी बैंगन की तकनीक का विरोध किया उनपर कटाक्ष किया गया तथा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री, जिन्होंने देश भर में सात जगहों पर जन सुनवाई के उपरांत बी टी बैंगन पर रोक लगाये जाने का निर्णय किया था, पर केंद्रीय सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने भी प्रहार करना शुरू कर दिया। इसी बीच जी एम् के आलोचकों को बंद करने के लिए सरकार द्वारा ‘बायोटेक्नालोजी रेगुलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया’ के रूप में सरकारी प्रस्ताव लाना शुरू किया गया जिसमे राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों को हनन करने की कोशिश की गयी है जो अपने राज्यों को जी एम् मुक्त रखना चाह रहे थे। इसके अलावा ‘बी आर ए आई’ को इस तरह तैयार करने की कोशिश की गयी है कि देश के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को नजरंदाज करते हुए जी एम् के व्यवसायीकरण को बढ़ावा दिया जाये। अभी हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल कि स्वीकृति भी इस बिल को प्राप्त हो गयी है और संसद के पटल पर जाने को तैयार है।

दूसरी जगह, देश के छोटे और सीमांत किसानों के जोखिम को कम करने के लिए एवं पुनः खाद्य सुरक्षा एवं संप्रभुता लाने के लिए प्राकृतिक कृषि आन्दोलन को देश के कई राज्यों में बल मिल रहा है।

इसी क्रम में संपूर्ण भारत वर्ष में एक चेतना यात्रा का आयोजन ‘स्वराज यात्रा’ के नाम से किया जा रहा है. यात्रा देश के उन्नीस राज्यों में होगी। स्वराज यात्रा सतत एवं समग्र कृषि गठबंधन द्वारा आयोजित किया जा रहा है (“ASHA” Alliance for Sustainable & Holistic Agriculture) इस स्वराज यात्रा द्वारा सभी भारतीयों को याद दिलाने का प्रयास किया जा रह है कि हमने कैसे गुलामी कि जंजीर को तोड़कर आजादी ली थी और बड़ी कृषि व्यावसायिक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, जिनके पीछे कई भारतीय अवतार छुपे बैठे हैं, पुनः देश की आज़ादी के ऊपर खतरे कि तरह मंडरा रहीं है एवं हमारे देश कि आज़ादी एवं हमारी किसानी छिनने का प्रयास कर रही है।

हिंद स्वराज के सौ साल बाद, जहाँ हमने स्वतंत्र भारत के अच्छे विकास का सपना सजोया था, जो हमारी सम्पदा एवं सभ्यता से आधारित था तथा इसके लिए कितने स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए, पुनः उपनिवेशण के रास्ते पर हैं और बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ पुनः देश भर में पांव फ़ैलाने पर आमदा है और इसके विरोध में हम सबों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।

यह व्यापक रूप से देखा जा सकता है कि हमारे खाद्यानों एवं कृषि व्यवस्था पर अब बीज एवं अन्य कृषि से जुड़े तकनीक के माध्यम से नियंत्रण करते हुए मुनाफाखोरों के लिए विशाल बाजार का विस्तार किया जा रहा है। इस लालची मुनाफाखोरी में हालाँकि किसान एक बहाने के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है, और यह भी स्पष्ट है कि किसानों एवं खेतों कि बर्बादी के बारे में हमेशा भारत में जाना जाता है।

इस यात्रा द्वारा जी एम् बीजों के पुरजोर विरोध कि जरूरत है क्योंकि इन जी एम् बीजों के कई प्रतिकूल प्रभाव किसानों, उपभोक्ताओं एवं पर्यावरण पर पड़ते हैं यह हमारी स्वतंत्रता के नये युद्ध का नमक है जो समुदायों को पुनः अपने संसाधनों, ज्ञान, आजीविका, जीवन एवं स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने में सहायक सिध्द होगा

स्वराज यात्रा द्वारा सत्यमेव जयते के दर्शन के आधार पर सच्चाई बताई जायेगी। यह सच्चाई कृषि नीतियों, जी एम् बीज जैसे तकनीक और उनकी भारत में वर्तमान स्थिति, मोंसैंटो जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्रों कि संस्थाएं जिन्हें हम कर भुकतान कर समर्थन करते हैं, सिंथेटिक कीटनाशकों, कारपोरेट, अनुबंध खेती तथा सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक खेती के बारे में होगी।

यह यात्रा उन तथ्यों को भी उजागर करेगी जो कॉरपोरेटों के लालचीपन के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधनों के लिए खतरा बन गए हैं।

इस यात्रा में सफल एवं अनुभवी किसान होंगे जो अपने अनुभवों को देश भर के किसानों में बाटेंगे, खाशकर उन किसानों में भी जिन्होंने जी एम् बीजों के दंश को झेला है तथा किसानों को अपने खाद्यानों एवं खेती में स्वराज लाने का सन्देश जायेगा। इस यात्रा में चल रहे नागरिकों द्वारा अपने मौलिक अधिकारों, भोजन के विकल्पों को चुनने कि जानकारी दी जायेगी। साथ ही साथ कृषि विशेषज्ञ, बायोटेक विशेषज्ञ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी यात्रा में शामिल रहेंगे।

यह एक ऐसा मंच होगा जिसमे सभी नागरिकों को जानने एवं शामिल होने का अधिकार होगा साथ हीं वे जान सकेंगे कि उनके खाद्यानों एवं खेती में क्या-क्या परिवर्तन करने कि कोशिश केंद्र सरकार एवं वहुराष्ट्रीय कंपनियां कर रहीं हैं।

यह राज्य सरकारों के लिए भी मंच होगा जो अपने राज्य के कृषि एवं स्वास्थ्य के विषय पर प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों को मजबूत करना चाहते है। यहाँ कहने में यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बी आर ए बिल एवं सीड बिल जैसे प्रस्ताव सरकार वहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाब में आकार लाना चाहती है, जिसमे राज्यों के अधिकारों के हनन करने का प्रयास किया गया है। साथ ही उन बिलों में कई संशोधन कि भी आवश्यकता है। यह यात्रा उन राज्य सरकारों के पास भी जायेगी जो अलग बैठ तमाशबीन बने हुये हैं।

स्वराज यात्रा दिनांक ०२ अक्टूबर २०१० को गाँधी जयंती के अवसर पर गुजरात के साबरमती आश्रम से शुरू होगी और देश भर के १९ राज्यों, यथा गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आँध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, राजस्थान, एवं हरियाणा, की यात्रा के उपरांत राजघाट दिल्ली में दिनांक १० दिसंबर२०१० को देश की जनता के सामने समाप्त होगी।

इस यात्रा में प्रदर्शनी, बीज बिबिधता, जैविक खाद्य उत्सवों, सार्वजनिक बैठकों, रैलियों, पदयात्रा, साईकिल यात्रा, नुक्कड़ नाटकों, बैठकों, एवं प्रेस सम्मेलनों का आयोजन किया जायेगा.

Monday, December 28, 2009

against genetic modified foods

The GM Free Bihar Movement, spearheading serial campaign against genetic modified foods across Bihar, attracted many eye balls in capital Patna on the National Consumers Day

Wednesday, October 14, 2009

हमारा हिन्दुस्तान

सहारा वो खोजते हैं जो कमजोर होते हैं. बहादुर तो सहारा देने में यकीन रखते हैं. सहारा देने वाले बन कर देखो जीवन का आनंद किसमे ज्यादा हैं.

Ravi Kamal

Exceutive Director

NRDS, Patna (Bihar)