संपूर्ण भारत वर्ष में एक चेतना यात्रा का आयोजन ‘स्वराज यात्रा’ के नाम से किया जा रहा है. यात्रा देश के उन्नीस राज्यों में होगी। स्वराज यात्रा सतत एवं समग्र कृषि गठबंधन द्वारा आयोजित किया जा रहा है (“ASHA” Alliance for Sustainable & Holistic Agriculture)। इस स्वराज यात्रा द्वारा सभी भारतीयों को याद दिलाने का प्रयास किया जा रह है कि हमने कैसे गुलामी कि जंजीर को तोड़कर आजादी ली थी और बड़ी कृषि व्यावसायिक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, जिनके पीछे कई भारतीय अवतार छुपे बैठे हैं, पुनः देश की आज़ादी के ऊपर खतरे कि तरह मंडरा रहीं है एवं हमारे देश कि आज़ादी एवं हमारी किसानी छिनने का प्रयास कर रही है।
हिंद स्वराज के सौ साल बाद, जहाँ हमने स्वतंत्र भारत के अच्छे विकास का सपना सजोया था, जो हमारी सम्पदा एवं सभ्यता से आधारित था तथा इसके लिए कितने स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए, पुनः उपनिवेशण के रास्ते पर हैं और बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ पुनः देश भर में पांव फ़ैलाने पर आमदा है और इसके विरोध में हम सबों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।
यह व्यापक रूप से देखा जा सकता है कि हमारे खाद्यानों एवं कृषि व्यवस्था पर अब बीज एवं अन्य कृषि से जुड़े तकनीक के माध्यम से नियंत्रण करते हुए मुनाफाखोरों के लिए विशाल बाजार का विस्तार किया जा रहा है। इस लालची मुनाफाखोरी में हालाँकि किसान एक बहाने के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है, और यह भी स्पष्ट है कि किसानों एवं खेतों कि बर्बादी के बारे में हमेशा भारत में जाना जाता है।
इस यात्रा द्वारा जी एम् बीजों के पुरजोर विरोध कि जरूरत है क्योंकि इन जी एम् बीजों के कई प्रतिकूल प्रभाव किसानों, उपभोक्ताओं एवं पर्यावरण पर पड़ते हैं। यह हमारी स्वतंत्रता के नये युद्ध का नमक है जो समुदायों को पुनः अपने संसाधनों, ज्ञान, आजीविका, जीवन एवं स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने में सहायक सिध्द होगा।
स्वराज यात्रा द्वारा सत्यमेव जयते के दर्शन के आधार पर सच्चाई बताई जायेगी। यह सच्चाई कृषि नीतियों, जी एम् बीज जैसे तकनीक और उनकी भारत में वर्तमान स्थिति, मोंसैंटो जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्रों कि संस्थाएं जिन्हें हम कर भुकतान कर समर्थन करते हैं, सिंथेटिक कीटनाशकों, कारपोरेट, अनुबंध खेती तथा सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक खेती के बारे में होगी।
यह यात्रा उन तथ्यों को भी उजागर करेगी जो कॉरपोरेटों के लालचीपन के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधनों के लिए खतरा बन गए हैं।
इस यात्रा में सफल एवं अनुभवी किसान होंगे जो अपने अनुभवों को देश भर के किसानों में बाटेंगे, खाशकर उन किसानों में भी जिन्होंने जी एम् बीजों के दंश को झेला है तथा किसानों को अपने खाद्यानों एवं खेती में स्वराज लाने का सन्देश जायेगा। इस यात्रा में चल रहे नागरिकों द्वारा अपने मौलिक अधिकारों, भोजन के विकल्पों को चुनने कि जानकारी दी जायेगी। साथ ही साथ कृषि विशेषज्ञ, बायोटेक विशेषज्ञ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी यात्रा में शामिल रहेंगे।
यह एक ऐसा मंच होगा जिसमे सभी नागरिकों को जानने एवं शामिल होने का अधिकार होगा साथ हीं वे जान सकेंगे कि उनके खाद्यानों एवं खेती में क्या-क्या परिवर्तन करने कि कोशिश केंद्र सरकार एवं वहुराष्ट्रीय कंपनियां कर रहीं हैं।
यह राज्य सरकारों के लिए भी मंच होगा जो अपने राज्य के कृषि एवं स्वास्थ्य के विषय पर प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों को मजबूत करना चाहते है। यहाँ कहने में यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बी आर ए बिल एवं सीड बिल जैसे प्रस्ताव सरकार वहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाब में आकार लाना चाहती है, जिसमे राज्यों के अधिकारों के हनन करने का प्रयास किया गया है। साथ ही उन बिलों में कई संशोधन कि भी आवश्यकता है। यह यात्रा उन राज्य सरकारों के पास भी जायेगी जो अलग बैठ तमाशबीन बने हुये हैं।